BY VISHWA MOHAN
म्यूचुअल फंड में निवेश को लेकर काफी उलझने रहती हैं, ऐसे में अगर उसके फायदे का पता चल जाए तो म्यूचुअल फंड में निवेश में आसानी होती है। हमने म्यूचुअल फंड में निवेश के 11 सबसे बड़े फायदे का यहां पर जिक्र किया है, जो आपको निवेश की रणनीति बनाने में मदद कर सकता है।
(1) डाइवर्सिफिकेशन
जोखिम कम करने के लिए निवेश को डाइवर्सिफाई यानी कई विकल्पों में निवेश किया जाता है। म्यूचुअल फंड्स में फंड मैनेडर्स के पास पर्याप्त फंड होने की वजह से कई सिक्योरिटीज में निवेश का पूरा मौका रहता है। एक फंड का निवेश कई सिक्योरिटीज में होने की वजह से निवेशकों का निवेश ऑटोमैटिक डाइवर्सिफाई हो जाता है।
(2) प्रोफेशनल मैनेजमेंट
आमलोगों के लिए निवेश आसान काम नहीं होता है, चाहे वो शेयर में हो या फिर बॉन्ड, गोल्ड या प्रॉपर्टी में, हर निवेश के लिए कई बातों को ध्यान में रखना पड़ता है। कई बार लगता है कि बाज़ार को आसनी से समझ लेंगे और खुद से निवेश शुरू कर देते हैं, ऐसे निवेशकों को नुकसान उठाना पड़ता है। म्यूचुअल फंड के साथ फायदा है कि एक कुशल फंड मैनेजर अपनी पूरी रिसर्च टीम के साथ निवेश पर बेहतर रिटर्न कमाने के लिए पूरे समय लगा होता है। इंडिविजुअल के लिए इतनी समझ रखना असंभव जैसा है। म्यूचुअल फंड में निवेश के बाद निवेशकों किसी तरह की चिंता नहीं होती, क्योंकि उनका पैसा एक एक्सपर्ट के हाथ में होता है। म्यूचुअल फंड निवेश का रिव्यू जरूरी है, लेकिन बाकी निवेश की तरह चिंता नहीं होती है।
(3) निवेश में आसानी
म्यूचुअल फंड में निवेश काफी आसान है। निवेशकों को कोई रिसर्च की जरुरत नहीं होती है, प्रदर्शन के आधार पर फंड का चुनाव कर सकते हैं। जोखिम, रिटर्न और प्राइस की तुलना कंपिटीटर के फंड से करके बेहतर फंड्स चुना जा सकता है। सारी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध रहती है। सिर्फ निवेशकों को सही फैसले लेने की जरुरत होती है।
(4) लिक्विडिटी
म्यूचुअल फंड का बड़ा फायदा लिक्विडिटी भी है। किसी भी समय निवेश को कैश में बदलने की सुविधा म्यूचुअल फंड में उपलब्ध है। अपने किसी जरुरत के समय फंड की यूनिट को बेचकर पैसा निकाल सकते हैं। 2 दिन में म्यूचुअल फंड से पैसा आपके पास आ सकता है।
(5) कम लागत
लागत के मामले में म्यूचुअल फंड में निवेश सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। फंड मैनेजमेंट का खर्च काफी कम होता है। अगर, आप पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवा लेते हैं तो 2% से 3% तक कुल निवेश का सालाना चार्ज देना पड़ता है। इसके अलावा मुनाफे में भी हिस्सा देना पड़ता है। लेकिन म्यूचुअल फंड निवेश पर एक्सपेंस रेश्यो (खर्च अनुपात) 1% से 2% तक होता है। डेट फंड्स के खर्च तो और भी कम होते हैं।
(6) कम टैक्स का बोझ
निवेश के बाकी विकल्पों के मुकाबले म्यूचुअल फंड निवेश पर टैक्स का बोझ काफी कम होता है। इक्विटी म्यूचुअल फंड पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स एक लाख रुपए से ज्यादा के मुनाफे पर लगता है। यानी आप 1 साल बाद इक्विटी फंड से निकलते हैं और मुनाफा एक लाख रुपए से ज्यादा है तो आपको 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना होगा। डेट फंड्स के लिए लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 3 साल तक होल्ड करने के बाद लागू होता है। डेट फंड में इंडेक्सेशन बेनिफट की वजह से महंगाई के हिसाब से मुनाफा कम हो जाता है, और टैक्स की देनदारी कम बनती है। इंडेक्सेशन वाले एसेट पर 20% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है, जबकि नॉन-इंडेक्सेशन एसेट पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता है। इन सबके अलावा म्यूचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम्स (ELSS) में निवेश पर इनकम टैक्स की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपए के निवेश पर टैक्स छूट भी मिलती है। ELSS के निवेशकों के टैक्सेबल इनकम में से 1.5 लाख रुपए तक कम हो सकता है। ELSS की सबसे अच्छी खासियत इसका सिर्फ तीन साल का लॉक-इन पीरियड है। बाकी किसी टैक्स बचाने के विकल्पों का लॉक-इन पीरियड 5 साल से कम नहीं है। यही नहीं ELSS का रिटर्न भी टैक्सफ्री होता है। लंबी अवधि में रिटर्न के मामले में सभी टैक्स बचाने के विकल्पों से आगे रहता है।
(7) म्यूचुअल फंड्स का चुनाव आसान
लक्ष्य के मुताबिक निवेशक म्यूचुअल फंड्स का चुनाव कर सकते हैं। अलग-अलग खूबियों के साथ म्यूचुअल फंड्स आते हैं। बेहद छोटी अवधि के लिए लिक्विड फंड में निवेश करना चाहिए। अलट्रा शॉर्ट टर्म फंड भी ज्यादा छोटी अवधि के लिए चुन सकते हैं। टैक्स बचाने के लिए इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में निवेश किया जा सकता है। अगर, लंबी अवधि का नजरिया हो तो इक्विटी फंड्स को चुनना चाहिए। इक्विटी फंड्स में भी ज्यादा जोखिम वाले फंड्स से लेकर कम जोखिम वाले फंड्स का भी विकल्प मिल जाता है। कम जोखिम के लिए लार्जकैप और डाइवर्सिफाइड फंड का चुनाव किया जा सकता है, जबकि जोखिम क्षमता ज्यादा हो तो मिडकैप और स्मॉलकैप फंड में निवेश करना चाहिए।
(8) छोटी रकम से भी निवेश संभव
म्यूचुअल फंड्स में 500 रुपए की छोटी रकम से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है। कई फंड्स में 500रुपए से निवेश शुरू करने का विकल्प मौजूद है।
(9) सुरक्षित और पारदर्शी
म्यूचुअल फंड में निवेश काफी पारदर्शी होता है। सभी म्यूचुअल फंड्स कंपनियां SEBI के नियमों के मुताबिक काम करना पड़ता है, और उनकी पूरी कार्य प्रणाली पर SEBI की पैनी नजर होती है। सभी एसेट कंपनियों को जरूरी खुलासे करने पड़ते हैं। फंड्स के पोर्टफोलियो में शामिल शेयरों की जानकारी निवेशकों को देनी पड़ती है। फंड का प्रदर्शन पब्लिक फोरम में मौजूद रहता है, और कोई भी इसकी जानकारी आसानी से हासिल कर सकता है। यही नहीं, फंड मैनेजर्स की योग्यता और ट्रैक रिकॉर्ड की सभी को जानकारी होती है। फंड की नेट एसेट वैल्यू हर दिन अपडेट किए जाते हैं। ऑनलाइन सारी जानकारी उपलब्ध रहती है। म्यूचुअल फंड्स में निवेश काफी सुरक्षित रहता है, क्योंकि सारे लेन-देन पारदर्शी तरीके से होता है। अगर निवेशक फंड से पैसा निकालते हैं तो पैसा सीधे निवेशक के खाते में जाता है। ऐसे में फंड की हेराफेरी को बिल्कुल गुंजाइश नहीं रहती है।
(10) SIP या एकमुश्त निवेश का विकल्प
म्यूचुअल फंड में सिस्टमैटिक इंवेस्टमेंट प्लान और एकमुश्त निवेश दोनों तरीके से निवेश का विकल्प मिलता है। SIP के जरिए 500 रुपए की छोटी रकम से शुरुआत की जा सकती है। एकमुश्त निवेश का भी सभी फंड में निवेश विकल्प मौजूद रहता है।
(11) मनपसंद निवेश का विकल्प
खास सेक्टर और इंडस्ट्री की अगर जानकारी है, लेकिन कंपनी चुनने में दिक्कतें हो रही हो तो म्यूचुअल फंड्स में ऐसे विकल्प मिल जाएंगे जहां सेक्टोरल फंड में निवेश कर पाएंगे। इसके लिए आपको बहुत ज्यादा रिसर्च की जरुरत नहीं पड़ेगा। आप अपनी पसंद से इक्विटी के साथ डेट या सिर्फ इंक्विटी या पूरी तरह से डेट फंड का चुनाव कर सकते हैं। अपनी जोखिम क्षमता और रिटर्न की इच्छा मुताबिक फंड्स का चुनाव करने का विकल्प म्यूचुअल फंड में मिलता है।