सोने में निवेश से पहले इसकी चाल की जानकारी होना बहुत जरूरी है, ताकि आप सही समय पर खरीदारी या बिकवाली कर सकें। इससे आपको ज्यादा से ज्यादा फायदा और कम से कम नुकसान होगा। आइए विस्तार से हम उन सभी कारणों को समझते हैं जो सोने की चाल को प्रभावित करते हैं।
मंदी के दौर में कैसी रहती है सोने की चाल?
दुनियाभर में जब भी मंदी का दौर आता है तो सोने में तेजी देखने को मिलती है। क्योंकि सोना सुरक्षित निवेश के तौर पर मजबूत विकल्प माना जाता है। जब सभी एसेट क्लास में गिरावट आती है तो सोना मजबूत रिटर्न देता है। इसलिए सोने को मुश्किल वक्त का साथी भी कहा जाता है। ग्लोबल स्लोडाउन के दौरान सोने की मांग बढ़ जाती है और सोने की कीमतों में अच्छी तेजी देखने को मिलती है। वहीं इकोनॉमी की स्थिति जब अच्छी रहती है तो सोने में कमजोरी देखने को मिलती है, क्योंकि सोने की बजाय दूसरे एसेट क्लास में पैसा शिफ्ट होने लगता है।
सोने और महंगाई (Inflation) का संबंध
जब भी महंगाई बढ़ती है तो करेंसी की कीमतें कम हो जाती है। ऊंची महंगाई के दौर में लोग सोने का संचय करने लगते हैं। सोने के इस्तेमाल को बढ़ाकर महंगाई के असर को कम किया जाता है।
ब्याज दरों का सोने की कीमतों पर असर
जब इकोनॉमी में स्थिति सामान्य हो तो सोने की कीमतें और ब्याज दरों में उल्टा संबंध होता है। ब्याज दरों में अगर बढ़ोतरी होती है तो ऐसा माना जाता है कि इकोनॉमी की स्थिति बेहतर है। महंगाई को काबू में रखने के लिए भी ब्याज दरों को बढ़ाया जाता है। इसलिए जब भी ब्याज दरें बढ़ती हैं तो लोग सोने में निवेश कम कर देते हैं। क्योंकि ऊंची ब्याज दरों की वजह से फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट में ज्यादा रिटर्न मिलता है। वहीं अगर ब्याज दरों में कटौती की जाती है तो सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है। क्योंकि फिक्स्ड इंस्ट्रूमेंट में रिटर्न कम हो जाता है, तो लोग सोने की तरफ रुख कर लेते हैं।
करेंसी की चाल का सोने पर असर
अगर रुपए में मजबूती आती है तो सोने की कीमतों में कमजोरी दिखने लगती है, वहीं अगर रुपए में कमजोरी आती है तो सोने में मजबूती दिखने लगती है। क्योंकि सोना देश में इंपोर्ट किया जाता है, और इंपोर्ट के लिए भुगतान डॉलर में होता है, तो ऐसे में अगर रुपया कमजोर है तो सोना इंपोर्ट महंगा हो जाता है। वहीं रुपया मजबूत रहने पर सोने का इंपोर्ट सस्ता हो जाता है।
सोने की चाल का डॉलर से संबंध
अमेरिकी डॉलर में जब भी कमजोरी आती है तो सोने की कीमतों में मजबूती आ जाती है। क्योंकि ग्लोबल मार्केट में सोने में ट्रेडिंग डॉलर में होती है। ऐसे में डॉलर में कमजोरी से सोना महंगा हो जाता है और डॉलर में मजबूती से सोने पर दबाव आ जाता है।
शेयर बाजार और सोने का संबंध
ऐसा माना जाता है इक्विटी मार्केट में अगर तेजी आती है तो सोने में रुझान कम हो जाता है। लोग शेयर बाजार की तेजी का फायदा उठाने के लिए सोने से निकलकर इक्विटी की ओर रुख कर लेते हैं। दूसरी तरफ अगर लंबे समय तक शेयर बाजार में गिरावट रहती है तो निवेशक शेयर बाजार को छोड़ सोने में निवेश बढ़ा देते हैं।
त्योहारी और शादी सीजन में सोने की मांग
त्योहारों के मौसम में भारत में सोना खरीदना शुभ माना जाता है। ऐसे में लोग निवेश के साथ शुभ मौके का फायदा उठाकर सोने की खरीदारी करते हैं। ज्वेलरी खरीदने की परंपरा तो देश में पुराने जमाने से रही है, जो अभी तक जारी है। इसलिए जब भी त्योहारी या फिर शादी का सीजन आता है तो सोने की मांग बढ़ जाती है। ज्वेलर्स भी त्योहारी और शादी के सीजन के लिए पहले से तैयारी शुरू कर देते हैं। ज्वेलर्स गोल्ड इंपोर्ट बढ़ा देते हैं, ताकि त्योहारी और शादी के सीजन का फायदा उठाया जा सके। ऐसे सीजन से सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलती है।
मॉनसून की चाल का सोने की मांग से संबंध
जिस साल मॉनसून सामान्य रहता है तो ऐसा माना जाता है कि सोने की मांग बढ़ जाएगी। क्योंकि मॉनसून बेहतर रहने पर ग्रामीण इलाकों में खेती पर निर्भर लोगों की आमदनी बढ़ जाती है, इस वजह से सोने की मांग रूरल एरिया में बढ़ जाती है। यानी अच्छे मॉनसून का सोने की कीमतों पर पॉजिटिव असर पड़ता है। वहीं मॉनसून कमजोर रहने पर सोने की मांग घट जाती है। क्योंकि किसान सोना खरीदने की बजाय बेचना शुरू कर देते हैं।